...

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तेरा खवब
हर ख्वाब जो आया मैंने तुझे उसमे पाया, तेरी हर बात को आज पता नहीं क्यों मैंने मन में धोराया.
तेरे किस्मत की लकीर को मैंने अपनी कलायी से जोड़ा है, पता नहीं क्यों तेरा चेहरा दिखता भोला है.
अपने टूटे सपनो को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, तेरे किये की किमत आज भी हम भर रहे हैं.
ना तू सचि ना में झूठा फिर कसे हमारा रिश्ता टूटा.
तू मेरी हो कर भी ना होई तेरे जाने का मुझे कोई गम नहीं.
आज अपने महबूब की याद आयी है, तेरी ये बेरुखी मुझे कुछ राज ना आयी है.