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कुछ कहानियां
कुछ खुदको बदलूं इस कदर,
देखते हि झुकाले तू अपनी नजर ।
परक्ख उनको भी हो जाए इंसान की,
जो हर बात से थे बेखबर।
अब तो सब राख उनकी यादों के साथ ,
चुभती है उनसे की हर बात ।
बस दुआ यही है लोट आए वो नादानियां,
अधूरी पडी़ं हैं कुछ कहानियां।
देखते हि झुकाले तू अपनी नजर ।
परक्ख उनको भी हो जाए इंसान की,
जो हर बात से थे बेखबर।
अब तो सब राख उनकी यादों के साथ ,
चुभती है उनसे की हर बात ।
बस दुआ यही है लोट आए वो नादानियां,
अधूरी पडी़ं हैं कुछ कहानियां।
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