आदिप्रेम
पुनः पुनः के विरह वियोग से हो गए जो परम वैरागी।।
शक्ति रूपा गिरजा ,बनी उनक धरम अनुरागी।
बिन आभूषण , बिना कोई दूषण सत्य स्वयं को प्रकट किया
देख के डरी मैना महारानी ,ऐसा रूप विकट किया।
जैसे तुम हो वैसे रहो सामने सबके थी...
शक्ति रूपा गिरजा ,बनी उनक धरम अनुरागी।
बिन आभूषण , बिना कोई दूषण सत्य स्वयं को प्रकट किया
देख के डरी मैना महारानी ,ऐसा रूप विकट किया।
जैसे तुम हो वैसे रहो सामने सबके थी...