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स्त्री की वस्तुस्थिती
          @Pranil_Gamre
इस समाज मैं  मेरा छल करते  है, मुझे अपमानित करते  है
पर किसी को भी मेरे आसू नहीं दिखते जो इन आंखो से बहते है

ये लोग मेरा जनम होते ही मुझे मार डालना जानते है
क्यूँकि वे मुझे घर परिवार पर आया हुआ बोझ समझते है

एक तरफ इस समाज मैं स्त्री शक्ति रूपी देवी को पूजा जाता है
इसी समाज मैं  स्त्री पर बलात्कार करने का खयाल आता है

आज भी स्त्री का स्कूल कॉलेज जाना  लोग व्यर्थ समझते है
स्त्री केवल बर्तन माण्झणे के काम आती हैं ऐसा मानते हैं

आज खुद  स्त्री को हसना खेलना मित्रता रखना गुनाह जैसे लगता है
क्यूँकि कुछ भी हो जाए सवाल उसके चरित्र पर उठता है

आपनी मा बेटियों की सुरक्षा करना ये समाज जानता है
अकेली स्त्री दिखे तो उसे हवस मिटाने का तरीका मानता है

स्त्री की उन्नति आज भी कई पुरषों के आखों मैं खटकती है
स्त्री आज भी ऐसी ग्रीणा ऐसे व्यवहार से खून के आसू रोती है

यदि वो स्त्री जनमती है उसमे उसका दोष क्या होता है
जो इतनी क्रूरता से उसका जनम होते ही मार दिया जाता है

क्या वाकई यहा  स्त्री जनम लेना इतनी बड़ी भूल है
शायद साफ कभी ना होगी समाज के आंखो मैं ये जो धूल हैं
                                      ©Pranil_Gamre
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© Pranil_Gamre