...

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बचा कुछ नही।
मेरे वीरान मन में अब किसी के लिए कुछ नहीं
जो था वो था अब बचा खुचा भी कुछ नही

एक हसरत सी थी मेरी उस पेड़ की छाव में बैठू
पेड़ मुरझा सा गया वहा बचा अब कुछ नही

हम भी होंगे राहगीर लंबे वक्त के लिए सफर का
सभी रास्ते से होकर निकलेंगे अपने मंजिल को बचे गा कुछ नही

सब होते है शाद अपने अच्छे वक्त में "अवि"
अफसोस क्यों करे कुछ खोने का है क्या बचा है कुछ नही।

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