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Hamare jawan :Insaan ya bhagwan
जब देश मे लोग पी रहे थे ,प्यार का जाम
कुछ लोग दे रहे थे,अपने गलत मसुबो को अंजाम
कल तक था ,जहा जश्न का महौल
आज देश का खून रहा है,खौल

सच में यह लोग इंसान होते है या भगवान
क्या इनके सीने में दिल कि जगह पत्थर होता है
अजीब है ,इनसे भी महान इनके परिवार वाले
सामने अपनों की लाश हो तब भी इन्हे दर्द की जगह फक्र होता है

कुछ तो होता होगा उनमे खास
क्या नही होते उनके अपने अहसास
कैसे कोई अपने देश के लिए देता अपनी अतिम साँस
कैसे किसी को आती ऐसी जिदगी रास

जब हम घर से बाहर निकलते है,तो माँ आह भरती है
जब ये लोग जंग मे निकलते तो कैसे कोई इन्हे हसते हसते विदा करती है
हम तो खून के एक कतरे से भी सहम जाते है
कैसे कोई उसी लाल रंग से अपने आपको रोज नहाते है

हमे तो ठोकर खाने पर भी दर्द होता है
छोटे से छोटे दर्द पर भी हम उपर वाले को दोष देते है
और यहा कैसे कोई सीने पर गोली और बम खाते है
और हसते हस्ते अपनी जिदगी गंवा देते है

ताज्जुब होता है लोग राजनेता ,एक्टर को हीरो मानते हैं
हमारे जवान हमारे लिए क्या क्या करते वाकई मे क्या वह जानते
पता नही,वह जवान है या भगवान
जो हमारी खातिर अपने आपको सबसें पहले सूली पर टगाँते है