इंसान
सामने समंदर हे छलांग मत लगाना
असमान खुला हे छेद मत तलाशना
ये इंसान नहीं है जो हर वक्त अपना रुप बदलेगा
येतो संसार हे यहा ना भेदभाव हे नाही जलन
आदमी होते हे...
असमान खुला हे छेद मत तलाशना
ये इंसान नहीं है जो हर वक्त अपना रुप बदलेगा
येतो संसार हे यहा ना भेदभाव हे नाही जलन
आदमी होते हे...