...

10 views

बस एक ख्वाइश
बस एक ख्वाइश
बस एक ख्वाइश रह जाएगी
तुझ को देखने की
मेरे इस इनतेज़ार में
जान निकल जाएगी,
वो गलियों का चक्कर लगाना
भी काम ना आया तू अपना
पता बदल कर मेरी उम्मीद
को तोड़ आया
आता आज भी हूँ
उस चोख़ट पर
पर वहां का ताला बंद है
मकड़ी के जाले बुने है
मैं भी फांसी एक
मक्खी उसने में हूं,
हटे उस दरवाजे की धूल
मैं भी सुलझ जाऊँ
इस उम्मीद में बेठा
मैं मगन तेरा नाम लेता हूँ
ना रात का पता ना दिन का
बस यूँ ही तेरी धुन में गुम हूँ
बस एक ख्वाइश में हूँ |

© @MANSI sharma