...

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खुद को समझा लो तुम
की खुद को फिर से समझा लो तुम
ये अपने पराये की होड़ में
अपनी भावनाओं को संभालो तुम,
लोगों की भीड़ से खुद को निकालो तुम,
ये जीवन तुम्हारा तुम से क्या मांग रहा है?
ये वक़्त गुज़रता जा रहा है,
की खुद को फिर से समझा लो तुम
एक दफ़ा अकेले में एकांत
आईने में खुद को देखो तुम,
वो जो सामने देख रहे हो
जिस शख़्स को तुम निहार रहे हो
वो आज भी है कल भी है,
वो रोता भी है हंसता भी है,
उसे देख कर हैरान न होना
क्योंकि यहीं जीवन का
सत्य है जितनी जल्दी हो सके
उसे स्वीकार कर लो तुम,
की खुद को फिर से समझा लो तुम||


© Kajal Mishra ✍️