जब शाम ढले आना
जब शाम ढले आना मैं राह निहारुँगी
मैं रात अँधेरे में इक दीप जलाऊँगी
मन मोहने का तेरा करना है जतन सारा
ये माँग भरूंगी मैं तन खूब सजाऊँगी
शीशा भी चटक जाये जो देखे मेरा जलवा ...
मैं रात अँधेरे में इक दीप जलाऊँगी
मन मोहने का तेरा करना है जतन सारा
ये माँग भरूंगी मैं तन खूब सजाऊँगी
शीशा भी चटक जाये जो देखे मेरा जलवा ...