...

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बचपन की यादें
कभी बेपरवाह बचपन में स्वतंत्र घूमा करते थे,
आज जिम्मेदारियों तले बूढ़े हो गए हैं हम।

कभी घंटों तक माँ की गोद में बेफिक्र सोते थे,
आज दो पल का भी वक्त नहीं निकाल पाते हम।

कभी खुले आसमान में तितलियाँ...