भारत
#abhimpoetry
भारत तेरी महिमा का कितना कर सकता गुणगान मैं
हर्ष – उल्लास से सराबोर हम रहते दिवाली रमजान में
तेरी कीर्ति पूरे जग को भाए
देखा यश, तेज़ चमके इमान में
घाटी की स्वेत चादर में शान्ति का संदेश है
कमजोर कभी झुकने ना पाए पगड़ी को आदेश है
हरिद्वार की शाश्वत छाया आस्था का उपदेश है
गंगा की पावन लहरों में शीतलता भी लबरेज़ है
शीमला में सुंदर वादी
और हरियाणवी पहलवान है
तुझको समर्पित राणा का शूल
और तूही दिल्ली का स्वाभिमान है
सूरत की साड़ी आदर्श बनी
नारी का उत्तम संस्कार...
भारत तेरी महिमा का कितना कर सकता गुणगान मैं
हर्ष – उल्लास से सराबोर हम रहते दिवाली रमजान में
तेरी कीर्ति पूरे जग को भाए
देखा यश, तेज़ चमके इमान में
घाटी की स्वेत चादर में शान्ति का संदेश है
कमजोर कभी झुकने ना पाए पगड़ी को आदेश है
हरिद्वार की शाश्वत छाया आस्था का उपदेश है
गंगा की पावन लहरों में शीतलता भी लबरेज़ है
शीमला में सुंदर वादी
और हरियाणवी पहलवान है
तुझको समर्पित राणा का शूल
और तूही दिल्ली का स्वाभिमान है
सूरत की साड़ी आदर्श बनी
नारी का उत्तम संस्कार...