क्यों मिलते हो आजकल एक अजनबी की तरह...
मिलते थे तुम मुझसे मेरी जिंदगी की तरह,
क्यों मिलते हो आज कल इक अजनबी की तरह ......!
पहले तुम्हारी सब शिकायते, शिकवे और गिले
अपनेपन का कोमल एहसास लिए होते थे,
अब क्यों लगता है कि हम मिलके भी नहीं मिले
और क्यों ये अपनापन भी लगता है, बेरुखी की तरह
क्यों मिलते हो आज कल इक अजनबी की तरह......!
हमारे बीच में अब भी, ये...