वो लम्हे आए न दोबारा
सुकून भरे पालो की बातें करते है
बचपन की बातों को याद कर हम मुस्कुरादिया करते है
पापा के जल्दी घर आने का इन्तेज़ार करते –करते
दादी की बाहों में सो जाया करते थे
सो तो सोफे पे जाते थे
न जाने कैसे बिस्तर पे मिल जाते थे
उन लम्हो को याद करते –करते
कभी आँखे नम करते है
दादी की काहानियो और लोरी के बिन रात नही कटती थी
उन बातों को याद...
बचपन की बातों को याद कर हम मुस्कुरादिया करते है
पापा के जल्दी घर आने का इन्तेज़ार करते –करते
दादी की बाहों में सो जाया करते थे
सो तो सोफे पे जाते थे
न जाने कैसे बिस्तर पे मिल जाते थे
उन लम्हो को याद करते –करते
कभी आँखे नम करते है
दादी की काहानियो और लोरी के बिन रात नही कटती थी
उन बातों को याद...