...

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कोरोना
रात काली थी, ठंडी हवाओं की साथी थी,
उस पर फैली यह कोरोना महामारी थी,
जिसकी चपेट में आई दुनिया सारी थी।।
बूढ़े बच्चे सभी उम्र के लोग
इससे मारे मारे फिरते हैं,
हाय! देखो कैसी हाहाकार इसने मचाई थी।।
रास्त कठिन है, सभी को आगे बढ़ना है,
अब जब चल ही दिया है तो
बीच में ना छोड़ेंगे राह को।।
फिर आएगी वह सुबह सुहानी
देख जिसे लगे है वह कितनी पुरानी।।
चारों तरफ़ सिर्फ खुशियां होगी,
होगा अपनों का साथ,
दूर भगाकर इस महामारी को
फिर होगे सभी एक साथ।।