अंतहीन सफर
उड़ता फिरता है, एक अनजान डगर पे,
ये जो मन का पंछी उसकी पहचान वही है,
पल पल बदल देता है राहे सफर की,
अनजान उड़ा जाए बिन खबर की,
कोई टोके भी तो किसे जो किसी का नही हुआ,
बदनाम गली हो या राहे अमन की,
यूं तो खोज है सुकून की उसे पर...
ये जो मन का पंछी उसकी पहचान वही है,
पल पल बदल देता है राहे सफर की,
अनजान उड़ा जाए बिन खबर की,
कोई टोके भी तो किसे जो किसी का नही हुआ,
बदनाम गली हो या राहे अमन की,
यूं तो खोज है सुकून की उसे पर...