"मेरा तुमसे मिलना"
अनजान से पहचान तक,
पहुँचा कैसा सफ़र..!
मेरा तुमसे मिलना जैसे,
बेघर को मिले घर..!
ख़्यालों में सजाये जो सपने,
अपनेपन का गुज़र बसर..!
मेरी ज़िन्दगी सँवारी,...
पहुँचा कैसा सफ़र..!
मेरा तुमसे मिलना जैसे,
बेघर को मिले घर..!
ख़्यालों में सजाये जो सपने,
अपनेपन का गुज़र बसर..!
मेरी ज़िन्दगी सँवारी,...