वतन के रखवाले
अडिग खड़े हैं सरहद पर ,
लिए हाथ में जान,
दुश्मन के नापाक हरकत का
करते हैं काम तमाम |
दिन -रात पहरा देते हैं
जब ,बनकर ये चट्टान,
तभी तो ,हम सब होकर निश्चिंत
देते हैं...
लिए हाथ में जान,
दुश्मन के नापाक हरकत का
करते हैं काम तमाम |
दिन -रात पहरा देते हैं
जब ,बनकर ये चट्टान,
तभी तो ,हम सब होकर निश्चिंत
देते हैं...