कलयुग का कड़वा सच
ब्रह्मा ने रची यह दुनिया,
दुनिया जो है, एक रंगमंच।
उसे परमात्मा से बिछड़ कर,
अपने-अपने कर्मों के अनुसार
लेता जन्म, हरेक प्राणी।
कर्मों के अनुसार,
भिन्न-भिन्न योनियों में जन्म ले,
चयन करता अपने चरित्र का।
छूट होती उसे,
चरित्रों के चयन में,
कभी-कभी यह भी,
असंभव बन जाता,
जब होती उसे,
पैसों की कमी।
कभी-कभी ,
बुद्धि होते हुए भी,
चयन नहीं कर पाता,
अपनी पेशे का।
इस जगत में अपने-अपने
पेशेे के अनुसार, प्रत्येक मनुष्य,
अपने कर्मों को देता अंजाम।
कभी-कभी तो,
अपने कर्मों को अंजाम देता...
दुनिया जो है, एक रंगमंच।
उसे परमात्मा से बिछड़ कर,
अपने-अपने कर्मों के अनुसार
लेता जन्म, हरेक प्राणी।
कर्मों के अनुसार,
भिन्न-भिन्न योनियों में जन्म ले,
चयन करता अपने चरित्र का।
छूट होती उसे,
चरित्रों के चयन में,
कभी-कभी यह भी,
असंभव बन जाता,
जब होती उसे,
पैसों की कमी।
कभी-कभी ,
बुद्धि होते हुए भी,
चयन नहीं कर पाता,
अपनी पेशे का।
इस जगत में अपने-अपने
पेशेे के अनुसार, प्रत्येक मनुष्य,
अपने कर्मों को देता अंजाम।
कभी-कभी तो,
अपने कर्मों को अंजाम देता...