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ग़ज़ल
देर तक चलती रहेगी ये दास्तान, परेशान ना हो ।
आज जाएगी मेरी जान , परेशान ना हो ।
सांस चलती रही जब तक तू मेरे साथ रहे,
तुम जो गए जाएगी ये जान परेशान ना हो ।
अब कोई गम नहीं अब शिकवा गिला कुछ भी नहीं,
हो रही ज़िंदगी की शाम परेशान ना हो ।
खुश रहें दुनिया में सब गम का भी निशान ना हो,
अब नहीं मेरा कोई काम परेशान ना हो ।
फिर कभी आऊँगा तो करना वफ़ा का हिसाब,
दूंगा मैं प्यार बेहिसाब परेशान ना हो ।
कर लिया अपने हर इक ज़ुर्म को कुबूल ये 'अमर',
ले लिया सर पे सब इलज़ाम परेशान ना हो ।
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