...

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वो इश्क़ नहीं था
सावन की वो बरसती शाम, आसमान में घटाए छाई,
देख सावली सूरत पलकें ना झुकीं जब इश्क़ हुआ था!

बिखरे थे जुल्फ कहीं आँखों में हया की लाली छुपाई,
थी, अजीब सी कसीस थी उसमे देख मन बहका था!

अजनबी सी थी वो फिर भी डोर खींचा चला जाता था,
यूँही...