...

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कर्म

 जल- जल कर 
 मैं, उज्जवल करता 
 जग-मग जग-मग
 जीवन करता,
 तेल और बाती
 के संग में
मिलकर एक
गठबंधन करता।
सारी रतियां
 कर्म करूं मैं
 और फिर, तमस को दूर करता
 जग-मग जग-मग जीवन करता।।
 प्रभाव मेरा
 हृदय में  उतरता
 होठों पर
 मुस्कान है देता
 अंतर्मन की
 तंग गलियों में
 पथ- प्रदर्शन
 मैं हूं करता।
 राही जो भी
 तो भूले सब कुछ
 नेत्रों में हूं
 उसके मैं ज्योति भरता
 जग-मग जग-मग जीवन |।



© InduTomar