...

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"नर्म एहसास तुम्हारे..." ✍️✍️
"मृगनयनी सी हो चंचल तुम..
मेरे चितवन में हलचल करती रहती हो ।
एहसास मेरे जुड़ चुके हैं सारे ही तुमसे,
मेरे दिल-ए-मकाँ में तुम हर पल रहती हो ।।

💞

आरज़ू-ए-मोहब्बत बस इतनी सी है मेरी,
ता-हयात का संग बख़्श दे तुम्हारा मुझे ख़ुदा...
कि- तृप्त हो जाएगी रूह मेरी प्रेम से तुम्हारे,
कल-कल करती गंगा के जल सी तुम बहती हो ।।

💞

ज़िन्दगी तुम बिन मेरी अब कहाँ ही है,
बिन तुम्हारे इस मोहब्बत का कोई वज़ूद नहीं ।
मैं मुस्कुराता रहूँ प्यार बन अधरों पर तुम्हारे साथिया,
तुममें ही तो अब मेरी सारी दुनिया बसती है ।।

💞

चलो.. समर्पित अब मैं ख़ुद को यूँ कर देता हूँ,
तुम्हारे सारे ही दर्दों को अपने हिस्से में ले लेता हूँ ।
बस क़रीब मेरे रह जाएँ ये नर्म एहसास तुम्हारे,
कि- मैं जी उठता हूँ जब तुम सजती-सँवरती हो ।।"
✍️- Vishaal "Shashwat..."
© Vishaal "Shashwat..."