doob rahi in.....
डूब रही इन कतरा कतरा साँसों को,
बांध रखा है जो तुमने मेरी धड़कन को...
तोड़ने दो न आखरी सारे बंधन को,
खतम करो न अब तुम मेरी तड़पन को...
तिल तिल मरती ज़िन्दगी के पैमाने क्या...
नहीं दे सकते हो मौत के चंद बहाने क्या...
क्या गुज़री क्या गुज़रेगी इस तन्हाई में...
क्या गर्त में छुपा है डूबने दो वो पाने को...
टुकड़े टुकड़े शून्य का भी बंटवारा हो...
पूरा हो वो भी न...
बांध रखा है जो तुमने मेरी धड़कन को...
तोड़ने दो न आखरी सारे बंधन को,
खतम करो न अब तुम मेरी तड़पन को...
तिल तिल मरती ज़िन्दगी के पैमाने क्या...
नहीं दे सकते हो मौत के चंद बहाने क्या...
क्या गुज़री क्या गुज़रेगी इस तन्हाई में...
क्या गर्त में छुपा है डूबने दो वो पाने को...
टुकड़े टुकड़े शून्य का भी बंटवारा हो...
पूरा हो वो भी न...