माँ ❤
तू मेरे मन की ज्ञाता है , बहुत बड़ी तू गाथा है माँ.
हर पल तू मुझ में जीती है, हर दर्द में खुश तू रहती है माँ॥
शब्दों में तुझे कैसे बयां मैं करूं ,जब भी कुछ कहना चाहूं तो सारे अल्फाज कम पड़ जाते है माँ,
कोई शब्द ऐसा नहीं जो तुझे बयां कर दे माँ ॥
इतनी निस्वार्थ तू कैसे हो सकती है माँ,
मेरा पेट भरकर तू खुद भूखा कैसे सो...