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शीर्षक- दहेज
शीर्षक- दहेज

दहेज बना है असुर भयंकर,
उजाड़ रहा है, यह लाखों घर।
दौलत की जो भूख बढ़ी है,
फैला रही है यह अपने पर।
बेटी की शादी जब होगी,
जब दोगे सोना - चाँदी,कार और महंगा घर।
गरीब इंसान रोटी- रोटी को मोहताज है,
कैसे बसेगा उसकी बेटी का घर?
महँगे शौक और शान- शौकत से,
उड़ाया जाता है बहुत पैसा,
हर कोई यहाँ अमीर नहीं है,...