...

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स्वार्थी...
ज़िंदगी में स्वार्थी बन जाओ,
अपने सुख की तरह
अपना दुःख भी किसी को मत दो
उसे सहो
जैसे चेहरे पर जून की धूप सहते हो
चिलचिलाती धूप में बार-बार बंद होती पलकों
और उन्हें खुला रखने के प्रयास में देखो
अंधकार और प्रकाश कितने पास-पास हैं
इंसान की ज़िंदगी का भी तो यही अर्थ है
हर चीज है आपके आस-पास मगर सामने
अपने वक़त पर ही आएगी...✍
jaswinder chahal
27/10/2024
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