रावण का सच
तू जानता है क्या, रावण की सच्चाई,
जो करते हैं तारीफ़, वो भूलते हैं परछाई।
हर बात में धोखा, हर क़दम में बस छलावा,
रावण का सच है, जो देख न पाएगा।
रावण की तारीफ़ में, काली है सच्चाई,
बहन से प्रेम नहीं, बस छल की परछाई।
अगर था सच्चा प्यार, तो पति क्यों मारा,
सूर्पनखा के नाम पे, सीता को हर डाला?
सीता की सुंदरता पे, फिसला उसका मन,
बदला लेना था, तो करता सीधा रण।
कहते हो शिव भक्त, पर कहां थी सच्ची पूजा,
उल्टा, कैलाश उठाया, शिव को दी चुनौती,
पर एक अंगूठे से, टूटा घमंड का मोती।...
जो करते हैं तारीफ़, वो भूलते हैं परछाई।
हर बात में धोखा, हर क़दम में बस छलावा,
रावण का सच है, जो देख न पाएगा।
रावण की तारीफ़ में, काली है सच्चाई,
बहन से प्रेम नहीं, बस छल की परछाई।
अगर था सच्चा प्यार, तो पति क्यों मारा,
सूर्पनखा के नाम पे, सीता को हर डाला?
सीता की सुंदरता पे, फिसला उसका मन,
बदला लेना था, तो करता सीधा रण।
कहते हो शिव भक्त, पर कहां थी सच्ची पूजा,
उल्टा, कैलाश उठाया, शिव को दी चुनौती,
पर एक अंगूठे से, टूटा घमंड का मोती।...