...

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मुलाकात
एक शाम तुम्हारे साथ...काश कुछ ऐसी हो...
एक मुलाकात तुम्हारे साथ...काश कुछ ऐसी हो..

एक सर्द से शहर में, कंपकंपाती राह हो
बर्फ़ के शाल में, लिपटी सी वादियाँ,
दोनों के दरम्यान जल रहीं, धीमी सी आग हो...
कोहरे से ढक रही गर्म चाय...काश कुछ ऐसी हो..
सिसक रहीं, कुछ पिघल रही रात काश कुछ ऐसी हो...
एक मुलाकात तुम्हारे साथ...काश कुछ ऐसी हो...!!
© कविता खोसला