...

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इन बातों के बिना......
भले ही हम दूर ही सही
इक बस इन बातों का ही सहारा था
भले ही मुलाकाते होती ही नही
ये चंद बातों से ही तो कट्टा सफ़र सारा था
भले ही प्यार में दूरियां बरकरार रही
केवल इन बातों पे ही तोह हक हमारा था
सारा दिन छिपते छिपाते थोड़ी बहुत बातें कही
एक ये रात का पहरा ही तोह रखता ख्याल हमारा था
इन बातों के बिना नींद नही, टीस पुरानी, तन्हाई वही
रोज़ रोज़ बातें कर दिल का हाल बयां करना सचमुच कितना प्यारा था

इन बातों के बिना तोह रह ही नहीं पाएंगे
तड़पते-तड़पते, अकेले रोते क्या ही कर दिखाएंगे?
सांसे चलेंगी बस, जिंदा कहां कहलाएंगे?
न सो सकेंगे, ना सबके सामने रो सकेंगे,
इससे अच्छा तोह हम मर ही जायेंगे।
© Literaria