...

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जब अंदर से बीमार था
की प्रेम का भुखार था
जो चेहरे पर निखार था
मिट गया है वो भी अब
जब अंदर से बीमार था
फिर भी मुख पर हसी का गुबार था
की ख्वाबों में लगता वो मेरा संसार था
बिछड़ गया हूं खुद से मैं
जब मेरा हर ख्वाब हुआ तार - तार था
की वही तो पूरे ब्रह्मांड में सजाया सपनों का छोटा सा मेरा संसार था।
की तब मेरे चेहरे पर अलग निखार था
वजह प्रेम का बुखार था...