...

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हैवान
यहाँ पग पग मे
इंसान से भेष मे हैवान बसें हैं
मुँह मे नाम भगवान का
और मन मे शैतान बसें है
तुम कैद ही अच्छे थे
कम से कम बाहर जानवर तो सुरक्षित थे
तुम्हारी ही तरह वो भी भूखे थे
अपनों के पास लौटने की आस उन्हें भी थी
तुमसे से तो उनकी कोई जंग ना थी
बस थोड़ी सी दया और सद्भावना की उम्मीद थी
अपने पड़े लिखें होने का परिचय तुमने कुछ इस प्रकार दिया
की मासूमो की जान का कुछ महत्व ही ना रहा
खुले आसमान मे तुम्हारा कोई हक़ नहीं
पिंजरे की कैद के ही तुम काबिल
इसमें कोई शक़ नहीं।😞😞😞