...

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बिसात
ये काले उजले घेरो में क्या खेल रचाया तुमने हैं
ये पीड़ा के अंधेरे से सूरज को छुपाया तुमने हैं
क्या सोचा था- ये अंधेरा मुझे डूबायेगा?
एक लौ रख दी है सीने में अब वो पथ दिखलायेगा।।

गर्जन करते अबधि को मेरे राहो पे टाल दिया
लो कस्ती रखली मैंने और पतवारों को भी...