वर्गीकरण
धर्म के आधार पर, जातियों के आधार पर, महिला-पुरुष के आधार पर, क्षेत्रीयता के आधार पर, रोजगार-आजीविका के आधार पर, मान्यताओं-सभ्यताओं के आधार पर, पद-पूंजी-प्रतिष्ठा के आधार पर, प्रायिकता के आधार पर, महत्ता के आधार पर, पूर्वाग्रह के आधार पर... आखिर अंतर करने की जरूरत क्या है... क्यों विभाजन करने की, वर्गीकरण करके किसी एक वर्ग को श्रेष्ठ या दयनीय अथवा निंदनीय प्रदर्शित करने की जरूरत है... क्यों ये प्रस्तुत करना आवश्यक है कि कोई एक वर्ग अन्य से श्रेष्ठ अथवा पीड़ित...