...

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खुद से इश्क़ है हो रहा
कमियां महसूस होती नहीं अब किसी की
लगता है खुद से इश्क़ होने लगा है
बढ़ रहीं हूं हर एक सीढ़ियों पर आगे
शायद मुझे कोई खोने लगा है
सताती नहीं अब तो नींदें भी रातों को
कहीं मेरा ही ख़्याल मुझमें सोने लगा है
था जिन ग़मों से बड़ा प्यार मुझे
वो अन्दर ही अन्दर कहीं रोने लगा है
खुशियां लगी हैं कदम रखने दिलों में
शायद अब हर ग़म सर पर मुस्कान ढोने लगा है
हर ज़ख्म जो थे चोट पहुंचाते दिलों को
अनदेखा सा मुस्कुराहट उसे धोने लगा है
ख्वाबों की चादरें अब ओढ़ने की इच्छा ही नहीं
हर दिन बीतने लगे हैं एक ख्वाब जैसे
हर किस्से तो अब ऐसे लगते हैं
हो कोई खुली किताब जैसे
आंखों में हैं नींदों का पहरा छाया
सदियों से जगी हो रात जैसे
अब लगती नहीं ज़रुरत किसी की
मैं ही मौसम, मैं ही बरसात जैसे
हर पल अब खुश रहने लगी हूँ
हो हर पल कोई साथ जैसे
दुनिया चाहे अब कुछ भी करे
खुश हैं हम खुद में ही
चाहे भले दुनिया को रश्क़ हो जैसे
अब न पड़ता है फ़र्क किसी से
खुद से इश्क़ हो रहा हो जैसे।।
© Princess cutie

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