घर की चौखट
"घर की चौखट"
वो सुबह की धूप, छांव सी रहती है,
घर की चौखट पर दुआओं सी बहती है।
माँ की ममता, पिता का साया,
हर कोने में प्रेम की सौगात कहती है।
बचपन की यादें, आंगन की बातें,
खुशबू सी हवाओं में लहराती रहती हैं।
दीवारों पे अब भी...
वो सुबह की धूप, छांव सी रहती है,
घर की चौखट पर दुआओं सी बहती है।
माँ की ममता, पिता का साया,
हर कोने में प्रेम की सौगात कहती है।
बचपन की यादें, आंगन की बातें,
खुशबू सी हवाओं में लहराती रहती हैं।
दीवारों पे अब भी...