...

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स्वार्थ पूरा रिश्ता पूरी प्यार नही था स्वार्थ थी पूरी।
दर्द दिलों का राज कहानी
कहानी बन गए थे हम।

जिन्हे हमने अपना है माना,
उन्होंने कर दिया हमे पराया।

पराया होते भी साथ खड़े थे,
हर मुस्कील में साथ खड़े थे।

हर तूफान में ढाल बने थे,
हर बरसात में छतरी।

फिर क्यू दूर कर दिया हमे,
बोल के पराया हमे।

क्या ही भूल थी हमारी
भला चाहना तुम्हारी,
यही थी क्या हमारी गलती।

सही है खेल
स्वार्थ के लिए , अपना लिया,
स्वार्थ खतम
रिश्ता खतम,
सब खतम ।

क्या खेल है स्वार्थी दुनिया का,
क्या खेल है स्वार्थी लोगो का।

© Nabendu writer