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💞 " ज़िन्दगी "💞
टुकडे - टुकडे हो गयी हूँ तराजू मे तुलते- तुलते ,
थक गयी हूँ ऐ ज़िन्दगी ! तेरी राहो मे चलते- चलते |
जन्म ------------ और ----------------मृत्यू ,
बस यही सत्य है रह जायेगी तू बस हाथ मलते -मलते |
पथिक हूँ मैं भी तेरी राहों की इतना जुल्म ना कर ,
मंजिल तो सभी की एक है(मृत्यू) कुछ तो रहम कर |
चल माना कि तू ही संगीत और तू ही प्रीत है ,
अब ठिठौली मार कर अकड़ना बंद कर |
सब तुझे चाहते हैं राजा हो य़ा रंक ,
पर तू किसे चाहती है ज़रा सा अर्ज तो कर |
आ पास बैठ तुझे एक किस्सा सुनाती हूँ ,
तेरे ही सामने तुझे तुझी से रूबरू करवाती हूँ |
तू वो शब्द है दुख और सुख ज़िसका अर्थ कहलाता है ,
दुख जिसके हिस्से वो रंक और सुख से तृप्त राजा कैसे इठलाता है
तू कितनी खूबसूरत है ये एक नवजात रोकर बताता है ,
और तुझे (ज़िन्दगी ) दुनिया मे लाने वाला शक्स स्त्री कहलाता है|
सृष्टी का सृजन भले ही ब्रम्हा ने किया हो ,
लेकिन जीवन सृजन का श्रेय सिर्फ एक स्त्री को जाता है |
तो बहुत हुई तेरी आँख-मिचोली चल तू भी अब रस्ते पर आजा ,
बस एक ज़िन्दगी ही तो है कहाँ तक साथ जायेगी ज़रा समझा जा|
शब्दों का जाल जो रचे वो कवि कहलाता है ,
और इन शब्दों को एक साथ पिरोये वो कविता कहलाती है|
---------written by Mohita💞
© Mohita
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