Majadur diwas ( Labour day)
वो जो कहते हैं ना।..
की मजदूरी करना या मजदूर होना छोटी बात है।।
तो ये कुछ पंक्तियां उनके लिए.......
के यूं ही नहीं मिलते बने- बनाए मकान।
एक-एक मजदूर के संघर्ष से बनता है मकान।।
के यूं ही नहीं मिटती पेट की भूख।
के यूं ही नहीं आसान उस तपती धूप में तपना पत्थर से पत्थर, ईंट से ईंट मिलाकर वह अपने हूनर को उसके अंजाम तक पहुंचाता है।।
के शून्य नहीं उस पसीने की बूंद की कीमत जो उसके सिर से...
की मजदूरी करना या मजदूर होना छोटी बात है।।
तो ये कुछ पंक्तियां उनके लिए.......
के यूं ही नहीं मिलते बने- बनाए मकान।
एक-एक मजदूर के संघर्ष से बनता है मकान।।
के यूं ही नहीं मिटती पेट की भूख।
के यूं ही नहीं आसान उस तपती धूप में तपना पत्थर से पत्थर, ईंट से ईंट मिलाकर वह अपने हूनर को उसके अंजाम तक पहुंचाता है।।
के शून्य नहीं उस पसीने की बूंद की कीमत जो उसके सिर से...