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राम का निवास तो प्रकाश का प्रमाण है ।
राम का निवास तो , प्रकाश का प्रमाण है ।।

वक्त वक़्त के प्रभाव , व्यक्त जो किए नहीं ।
स्वार्थ भाव के स्वभाव , रक्त में जिए नहीं ।
भक्त भक्त राम में , विभक्त तो हुए नहीं ।
राम को निवास किन्तु वक्त ने दिए नहीं ।।

व्यक्ति व्यक्ति राम के, निवास का प्रमाण है ।
राम का निवास तो, प्रकाश का प्रमाण है ।

नित्य नित्य साधना में , सत्य जो धरे रहे ।
धर्म थे सदा मगर वे , कर्म को करे रहे ।
सहे नहीं अनीति , नीति के लिए खरे रहे ।
प्रेम के प्रतीक राम , प्रेम से परे रहे ।।

भक्ति भक्ति राम के , मिठास का प्रमाण है।
राम का निवास तो , प्रकाश का प्रमाण है ।।

रूप रूप इंदु इंदु , सिंधु सिंधु भासिते ।
भूप भूप इन्द्र इन्द्र , बिंदु बिंदु शासिते ।
शब्द शब्द व्योम व्योम , ओम् ओम् व्यक्तिते ।
दीन हीन के प्रसून , बन्धु बन्धु बासिते ।

शक्ति शक्ति राम के ,विलास का प्रमाण है ।
राम का निवास तो , प्रकाश का प्रमाण है ।।

ज्योति जो जली जली, अखंड तेज में पली ।
हिन्द रोम रोम में , प्रचंड दीप सी जली ।
दीप्ति दीप्त भाल भाल, मूर्ति मूर्ति श्यामली ।
बैरि बृंद जारि जारि , संत संत तार ली ।।

युक्ति युक्ति राम के , विकास का प्रमाण है ।
राम का निवास तो , प्रकाश का प्रमाण है ।।



सुजान तिवारी 'समर्थ'
© Sujan Tiwari Samarth