...

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तभी तो असाधारण ये कहानी होगी…!!!!!
होंगे जब जीवन में संघर्ष अपरिमित…
तभी तो असाधारण ये कहानी होगी,
गिर कर उठना उठ कर गिरना खून में ऐसी रवानी होगी।
यादों के बिना क्या लुत्फ़ इस सफ़र में…
इस लम्हें की भी कुछ निशानी होगी,
तभी तो असाधारण ये कहानी होगी।।
होंगी जीवन में मुश्क़िलें हज़ार…
प्रकाशित होगा जीवन भी एक भोर की भांति,
आने के बाद अंधकार।।
नया इतिहास रचा दे जो, चुन लें ऐसी एक डगर…
पैरों के छालों से दिख जाए संघर्षपूर्ण रहा कितना सफ़र।।
हवाएँ लाख कौशिशे करें, इन हौसलों के दियों को बुझाने के लिए…
संघर्ष भले ही जी जान लगा दें, हमको झुकाने के लिए।।
किन्तु, हम भी उस स्वर्णिम युग के वंशज हैं-
एक योध्दा की तासीर है-हार हमें स्वीकार नहीं…
सर्वस्व अर्पण जीवन-युद्ध -महासमर में करते,
जो इन हौसलों को तोड़े ऐसा कोई वार नहीं।।
अंतिम क्षणों तक भुजाओं में ताकत रहेगी…
धर्म, सत्य, सनातन के लिए जीते हैं-
विरुद्ध विपत्तियों के खड़े होने की आदत रहेगी।।
खींच रही है...