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ज़िंदगी और मौत
मौत एक सज़ा नही वह तो एक इनाम है।
ज़िंदगी कोई बोझ नही हँसता खिलता गुलाब है।
मौत अंत नही अनुभव के साथ जीवन की शरुवात है।
ज़िंदगी ठहराव नही अनजाने सफ़र की शुरुवात।

हर जीवन का अंत निश्चित है हर अंत से शुरुवात है।
शुरुवात में है हम अकेले,फिर कारवां हमारे साथ है।
जब अंत की ओर चलना है क्यों मन मे डर है।
मौत एक सज़ा नही वह तो एक इनाम है।

© BALLAL S १०/५/२०२४