Rishtey
अपनी ही वीरान जिंदगी को यूँ देखकर,
आज एक एहसास नया होता है।
कल तक समझे बैठे थे कि मुसीबतों में भी,
कोई न कोई अपना होता है पर आज मानते हैं हम, कि दुश्मन न कभी दोस्त,
न ही पराया कभी अपना होता है।
आज एक एहसास नया होता है।
कल तक समझे बैठे थे कि मुसीबतों में भी,
कोई न कोई अपना होता है पर आज मानते हैं हम, कि दुश्मन न कभी दोस्त,
न ही पराया कभी अपना होता है।