...

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जिन्दगी , तू क्या चाहती है
तू ही उतार मुझ पर से यादें
मैं बोझ मर रहा हूं
जिंदगी, तू क्या चाहती है
मैं रोज मर रहा हूं

सुकुन कहां है , चैन कहां है
करार कहां है , यार कहां है
बता मुझे
मैं खोज कर रहा हूं
जिंदगी, तू क्या चाहती है
मैं रोज मर रहा हूं

अपनी उम्मीदों को , ख्वाबों को
तेरे मेरे पुराने हिसाबो को
कब्र खोदकर
जमींदोज कर रहा है
जिंदगी, तू क्या चाहती है
मैं रोज मर रहा हूं

© दीप