...

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मैं और तुम......
मैं खुद को कहूं मिट्टी अगर
तो तुम उसमें बनी तस्वीर कोई
मैं नि:शब्द सी लकीरों जैसी
और तुम उनमें छुपी तकदीर कोई
मैं टिमटिमाता एक तारा अगर
तो तुम आकाशगंगा की तस्वीर कोई
मैं ख्वा़बों का उफ़नता नीर
और तुम उनकी ताबीर कोई
दुनिया भर के किरदारों में
तुम अलहदा से अबी़र कोई
मैं खुदको जो कहूं दोहा अगर
तुम दोहे का कबीर कोई
मैं खुद को कह सकूं अगर नैना
तो तुम नैना के समीर कोई.....


© Gauri_🎶