...

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प्रकृति स्पर्श
निर्मल जल की धार है,
यादों की बौछार है,
सिरह गयी फिर से जमीं,
बादलों का ये प्रभाव है,
मन बेहद अशांत हो क्यूं न,
पर वर्णन से प्रेम परिहार है,
प्रकृति का मनमोहक रूप,
देखकर मन हुआ निहाल है।।

@नेहा यादव
© @नेहकिताब