सम्मान की उछलकूद
रामकृष्ण परमहंस को उनका एक शिष्य कहने लगा, मैं आपका गुणगान करता हूं, आपकी प्रसिद्धि के बारे में आपको बताता हूं,और आप कोई प्रतिक्रिया ही नहीं देते, शांत बैठे रहते हैं, रामकृष्ण कहने लगे, तू चाहता मैं दूसरों की...