महाकाल 🚩🚩
आदि मैं अनंत हूं
विस्तार मैं ही अंत हूं,
मुझे देवता करते नमन,
अदिपुरुष अघोरी संत हूं,
मैं शून्य मैं विस्तार हूं,
मैं जीत भी मैं हार हूं,
है विश्वास गर मुझपे,
मैं कगार भी मजधार हूं,
मैं परिपूर्ण भी दरकार हूं,
मैं प्रजा भी सरकार हूं,
कल्पना से परे परमार्थ जो,
वही मैं एकलिंग अवतार हूं,
मैं रोग भी उपचार हूं,
मैं श्रष्टि का आधार हूं,
हां कृपानिधि सर्वज्ञ मैं,
मैं ही त्रिनेत्र हुंकार हूं,
और संगीत मैं...
विस्तार मैं ही अंत हूं,
मुझे देवता करते नमन,
अदिपुरुष अघोरी संत हूं,
मैं शून्य मैं विस्तार हूं,
मैं जीत भी मैं हार हूं,
है विश्वास गर मुझपे,
मैं कगार भी मजधार हूं,
मैं परिपूर्ण भी दरकार हूं,
मैं प्रजा भी सरकार हूं,
कल्पना से परे परमार्थ जो,
वही मैं एकलिंग अवतार हूं,
मैं रोग भी उपचार हूं,
मैं श्रष्टि का आधार हूं,
हां कृपानिधि सर्वज्ञ मैं,
मैं ही त्रिनेत्र हुंकार हूं,
और संगीत मैं...