...

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वो और तनहाई
मैं यूं तो फना भी हो जाऊ ,
मगर मेरी फनायत जाया न हो जाए,
मैं पाने में लगी तो हूं,
मगर फना मेरी जान , मैं खुद ही न खो जाऊं ,
पहले जैसी मोहब्बत अता न कर सको , वक्त इनायत में जरा सा दे देना,
मैं डरती हूं मेरी जान खुदको खोने से , मैं खो गई तो ये मोहब्बत किसके कब्जे में जायेगी,
मेरा तो घर उजड़ जायेगा, और रकीबो को ये रंजिश बड़ी रास आयेगी ,
मेरी जुबान से मैं कुछ अल्फाज कहना चाहती है , हां वो तुम्हें...