ज़िम्मेदारी
महज़ चन्द लम्हातों में रूठ ज़ाना कहा वाज़ीब है
हम तो हमेशा से ही फकत इक तेरी ही जानिब है
फ़रमाइश हो कोई कोई नखरा ही सर आँखो पर
नाता तुझसे दिल...
हम तो हमेशा से ही फकत इक तेरी ही जानिब है
फ़रमाइश हो कोई कोई नखरा ही सर आँखो पर
नाता तुझसे दिल...